ब्लॉग मित्रों ,
आप लोगों की उत्साहवर्धक टिप्पणियों के प्रताप से मुझमें भी आपनी नई-पुरानी रचनाओं को पोस्ट किए चले जाने का चस्का लग गया है सो आपलोग अब अपनी करनी का फल प्राप्त करो..... और एक रचना झेलो -
मैं
गर्म ,तपती हुई रेत पर ,
पानी की एक बूँद,
मैं ,
गिरी तो क्षण भर में ,
समाप्त हो गई ।
समाप्त हो गया मेरा अस्तित्व ।
कौन जाने
क्यों ...?
कहाँ ...?
कब ...?
कैसे ...?
गिरी वह बूँद ,
और फ़िर मरुभूमि में गिरकर ,
क्या बनी...?
मैं भी नहीं जानती मेरा क्या होगा ।
बदल बन के बरसने की सामर्थ्य नहीं मुझमें ।
शायद कहीं ....
फूलों पर शबनम की बूँद बनकर ,
या फ़िर
दूब की नोक पर तुहिन कण सी ,
चमकुंगी केवल सुबह -सवेरे ।
लेकिन .......
कौन जानेगा मुझे ...?
पहचानेगा मुझे ...?
कि
मैं वही मरू भूमि में गिर पड़ी एक बूँद हूँ ।
किंतु तुम पहचान लेना ।
हर एक बूँद ,जो ओस है या आंसू है ,
मेरा ही सर्वांश है ,यह जान लेना ।
और फ़िर तुम देखना ,
कैसे झरते -झरते हंसूंगी मैं ,
और हंसते -हंसते झरूँगी मैं .
kitna sashakt likhti hain aap...........waakayi bahut hi prabhavshali
जवाब देंहटाएंवाह!वाह!वाह आपकी कविताओं का एक और दीवाना हुआ बहुत ही खूब
जवाब देंहटाएंऔर फ़िर तुम देखना ,
कैसे झरते -झरते हंसूंगी मैं ,
और हंसते -हंसते झरूँगी मैं .
वाह वाह वाह, आह!
आपकी कविताओं का एक और दीवाना होगया,किस पंति को छड़ूँ किसे तारीफ के लिये लूँ ? वाह् वाह वाह, आहा>>>>>>\
जवाब देंहटाएंआपकी कविताओं में प्रवाह आकृष्ट करता है ।
जवाब देंहटाएंइस रचना के लिये धन्यवाद ।
किंतु तुम पहचान लेना ।
जवाब देंहटाएंहर एक बूँद ,जो ओस है या आंसू है ,
मेरा ही सर्वांश है ,यह जान लेना ।
अच्छी लगी ये पंक्तियाँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
और फ़िर तुम देखना ,
जवाब देंहटाएंकैसे झरते -झरते हंसूंगी मैं ,
और हंसते -हंसते झरूँगी मैं .
--बहुत उम्दा!!
कैसे झरते -झरते हंसूंगी मैं ,
जवाब देंहटाएंऔर हंसते -हंसते झरूँगी मैं .
...wah !!
Hindi kavita main kuch hi acchi kavita dekhne ko milti hai....
apki unme se ek hai...
क्या बात है...वाह...बेजोड़ रचना है आपकी...पुरानी आपके लिए है लेकिन हम जैसों के लिए तो एक दम नयी है...और ऐसी विलक्षण रचनाएँ भी कभी पुरानी होती हैं?
जवाब देंहटाएंनीरज
kya baat hai seema ji ,
जवाब देंहटाएंab ye purani ho ya nai ..
hamen to bahut pasand aayi ..
किंतु तुम पहचान लेना ।
हर एक बूँद ,जो ओस है या आंसू है ,
मेरा ही सर्वांश है ,यह जान लेना ।
ultimate lines......................
wah ji wah , badhai sweekar karen
बहूत बेहतरीन कविता..........
जवाब देंहटाएंआपकी कविता अक्सर कुछ कहती हुई लगती है, सुंदर अभिव्यक्ति है शब्दों की इस रचना मैं
neeraj ji, himanshu ji, नासवा जी, विजय जी ,अनिल जी ,बादल जी दर्शन जी ,उड़नतस्तरी जी श्यामल जी आप सबका बहुत बहुत आभार .
जवाब देंहटाएंअंतिम दो लाइने ,आलंकारिक
जवाब देंहटाएंवाहवा.. क्या बात है... इस खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिये सीमा जी बधाई स्वीकारें..
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