प्रिय मित्रों ,
बीमार होने की वजह से पिछले कुछ महीनों से आप लोगो से मिलना नही हो पाया ,बहुत बहुत क्षमा प्रार्थी हूँ .बीमारी तो खैर दिल की है जिसके ठीक होने के आसार नहीं हैं बस दवाओं और दुआओं के साथ ही जीना है ।
अपनी एकदम ताज़ा रचना आप सबके लिए प्रस्तुत है .कृपया मेरी अनुपस्तिथि को क्षमा करते हुए अपने कमेंट्स जरुर दीजियेगा ।
मन की खिड़की
मैं
अक्सर खुली छोड़ देती हूँ,
मन की खिड़की ।
कि
कहीं किसी गृहणी के बालों में बंधे गजरे से
मोगरे कि खुशबू
मुझे ढूँढती हुई आ जाए ,
मेरी सांसों में समां जाए ।
तो
मेरा मन महकने लगे शायद !
मैं
अक्सर खुली छोड़ देती हूँ ,
मन कि खिड़की ।
कि
कहीं किसी कडकडाती ठण्ड की सुबह ,
कोई धूप का नन्हा सा छौना ,
कूद कर अन्दर आजाये
और मेरे ठिठुरते हुए पैरों को
हौले से छू ले ,
तो ठंडे हो चुके रिश्तों में ,
गर्माहट भर जाए शायद !
मैं
अक्सर खुली छोड़ देती हूँ
मन की खिड़की
कि
कहीं कोई घोंसला बनने कि फिराक में फिरती गोरैय्या
फुदक कर अन्दर आ जाए ।
किसी कोने में छुप कर,
अपना आशियाना सजाये ,
और कुछ नन्हीं -नन्हीं आवाजों से ,
घर भर जाए
तो
मेरे भीतर का सन्नाटा टूटे शायद !
मैं
अक्सर खुली छोड़ देती हूँ
मन की खिड़की
कि
कभी कोई शरद पूर्णिमा का चाँद
मेरे मन में आ जाए ,
और कोई कृष्ण उस चांदनी में ,
अलौकिक सुरों में बांसुरी बजाये ,
कोई राधा पैरों में पायल पहने ,
सोलह श्रृंगार किए रास रचाए
तो
सूना मधुबन गुंजार हो जाए शायद !
मैं
अक्सर खुली छोड़ देती हूँ
मन की खिड़की
कि
हवा आए
धूप आए
बारिश आए
चाँदनी आए
रंग आए
सुगंध आए
मौसम आयें
त्यौहार आयें
खुशियाँ आयें
फूल आयें
चिडियां आयें
बच्चे आयें
दोस्त आयें
प्यार आए
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और तू आए शायद!
बहुत खुब क्या बात है, लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई आपको इस सुन्दर रचना के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना है... सीमाओं में बंधी हुई...
जवाब देंहटाएंखिड़की खुली रखने के पीछे रही आपकी मनोकामनाये पूरी हों, आपने स्वयं ही लिखा "बीमार थी" यानि अब स्वस्थ्य लाभ ले रही हैं, बस अच्छे स्वास्थ्य की शुभकामनाओ के साथ...
आभार...
यों तो पराये घरों में झांकना मेरी फितरत नहीं है
जवाब देंहटाएंकसम से नहीं है
लेकिन आपके मन की खिड़की में झांकना
अच्छा अनुभव रहा.........
सुखद रहा.........
रहा सवाल दिल की बीमारी का तो मुबारक हो.......
आपके पास दिल तो है........
________________कविता अत्यन्त उत्तम है
बधाई !
poori gahraai tak shabd thirakte hain.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने । विचारों की प्रखर अभिव्यक्ति और भाषिक संवेदना ने कविता को प्रभावशाली बना दिया है ।
जवाब देंहटाएंमैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-रोजगार और बाजार से जुडी हिंदी, जगा रही अपार संभावनाएं । समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
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बहुत खूब । आभार ।
जवाब देंहटाएंआप ऐसे ही 100 साल कविता लिखती रहें यह दुआ ।
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंहम कामना करेंगे आपकी दिल की बीमारी दिल से निकल कर बिल में घुस जाए और आप स्वस्थ हो जाएं। बाकी आपकी रचना अच्छी लगी। भली लगी, लिखते रहिये। दिल का क्ष्याल रखिये।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना । संवेदित करती प्रविष्टि । आभार ।
जवाब देंहटाएंखुदा करे इस पावन, मन-भावन खिड़की से
जवाब देंहटाएंहोते हुए तमाम खुशियाँ आपके घर आयें..
और हवा का एक ऐसा पाक , पवित्र झोंका
भी आ पाए जो आपके हर दुःख को हर ले जाए
आमीन.....अस्तु
---मुफलिस---
आप सब लोगों का बहुत बहुत आभार .
जवाब देंहटाएंसीमा जी ,
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
आपकी ये कविता पढ़ी ... फिर कुछ न कह सका ... कुछ दिन बाद फिर आया.. फिर कुछ न कह सका .. अब आया हूँ की कुछ कहूँ .. आपने अपने मन की खिड़की खोलकर जितनी अच्छी तरह से ज़िन्दगी के रंगों को न्योता दिया है , स्वागत किया है आपने जीवन की खुशियों को ...वो अतुलनीय है ..
हवा आए
धूप आए
बारिश आए
चाँदनी आए
रंग आए
सुगंध आए
मौसम आयें
त्यौहार आयें
खुशियाँ आयें
फूल आयें
चिडियां आयें
बच्चे आयें
दोस्त आयें
प्यार आए
ज़िन्दगी के यही तो असली रंग है जिनमे खुशियाँ शामिल होती है ..ये आपके भीतर के अच्छे इंसान होने के सूचक है जो आपने इस कविता के माध्यम से ज़ाहिर किये है ...
हम सब ज़िन्दगी की भौतिक चीजो के पीछे भागते रहते है जबली असली खुशियाँ तो इन्ही छोटी छोटी बातो में होती है .. आपने अपनी कविता के माध्यम से बहुत कुछ कहा है और ये कविता ज़िन्दगी के प्रति एक positivity जागृत करती है ..
मेरी प्रार्थना है ईश्वर से की वो आपको ये सारी खुशियाँ देवे और भरपूर देवे और आपके मन की हर चाहत पूरी होवे.. और आपकी ह्रदय की बीमारी जल्दी ही ठीक हो जाए , ऐसी मेरी कामना है जी !
धन्यवाद और नमस्कार
विजय
बहुत ही सुंदर भाव हैं और बहुत ही प्यारी आशा।
जवाब देंहटाएंइस सोच की सराहना की जानी चाहिए।
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तो मेरे भीतर का सन्नाटा टूटे शयद, बहुत सुन्दर लाइन। ख़ूबसूरत रचना के लिये बधाई।
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